एकादशा
आज भारतीय पञ्चांग में ग्याहरस, एकादशा का बहुत महत्वपूर्ण तिथि मानी गयी हैं. भारतीय वैदिक दर्शन ज्योतिषी में इस तिथि का उल्लेखनीय बहुत योगदान कहा गया हैं, महाभारत की गीता उपदेश में भगवान कृष्ण में अर्जुन को दिव्य दर्शन भी दिया जिसका उल्लेख गीता अध्यायानुसार एकादशा अध्याय में पढ़ने को मिलता हैं. बारह महीनों के ग्रहों की चाल में ग्यारह में गुरु भाव होने से गुरु कारक माना हैं, जिस में वित्त-लाभ ,विविधला, वस्त्र-लाभ, धन-लाभ, द्रव्य-लाभ, और यश लाभ होना बताया जाता हैं. मेल-मिलाप क्रिया कुशलतापूर्वक, आकस्मिक [ आस्मिक ] लाभ, आभुषण योगदान बताया गया हैं.
ग्रहाणा धात्वादी
सूर्य -की दशा अथवा प्रभाव अस्थि पर
चन्द्र - की दशा से रुधिर पर
मंगल- की दशा से मज्जा और माँस पर
बुद्ध- की दशा से चमड़ी पर
गुरु-की दशा से चर्बी पर
शुक्र -की दशा से वीर्य पर
शनी + राहू + केतु = नसों के अधिपति हैं.
इन ग्रहों का चलन के आधार पर मनुष्य का शारीरिक स्वास्थ्य पर सबलता-निर्बलता का असर पड़ता हैं .
अपनी दिशा बदलो दशा अपने आप बदल जाएगी ,.. Change its direction will change on its own.. AAYURVED, MODREN, NUTRITION DIET & PSYCOLOGY गोपनीय ऑनलाइन परामर्श -- आपको हमारा परामर्श गोपनीयता की गारंटी है. हमारा ब्लॉग्स्पॉट, विश्वसनीय, सुरक्षित, और निजी है. एक उर्जावान, दोस्ताना, पेशेवर वातावरण में भौतिक चिकित्सा के लिए सर्वोत्तम संभव कार्यक्रम प्रदान करना है.
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