प्रवर्त मार्ग और निवृत मार्ग = प्रवर्त मार्ग और निवृत मार्ग में आहार की भूमिका में पुरक आहार के तौर प्राय मन्दिरों में पोधे लगाये जाते है जिनमें तुलसी तथा भाँग गांजा के प्रभावों का वैज्ञानिक आधारों से विवेचना करते है तो ज्ञात होता है की प्रवर्त मार्ग और निवृत मार्ग का ज्ञान होना आवश्यक है, भारतीय आध्यत्मिक [ आत्मा का ज्ञान ] को समझना जरूरी है. धर परिवार और समाज को चलाना को प्रवर्त मार्ग कहते है एवं भक्तिभाव पूर्वक भगवान को स्मरण करते ब्रह्मचर्य पूर्वक जीवन यापन करना होता है. प्रवर्त मार्गी को वीर्य की आवश्यकता होती है जब की निवृत मार्ग को ब्रह्मचर्य हेतु वीर्य की आवश्यकता नही होती इन दोनों को अपना अपना वीर्यवान और वीर्यं नाशवान आहारो की आवश्यकता होती है. प्रवर्त मार्ग ठाकुर श्री कृष्ण की पूजा अर्चना करते है वो सभी अपना परिवार के विस्तार के लिए पूरक आहार के रूप में तुलसी पोधे को भगवान के सामने लगाते है. ठीक इसी तरह शंकर भगवान के पुजारी ज्यादातर निवृत मार्ग के साधू सन्यासी होते जिनको वीर्य की आवश्यकता नही होती वो लोग शिवशंकर भगवान के मन्दिर में भाँग गांजा लगाते जिसका कारण यही होता है की प्रवर्त एवं निवृत मार्ग के लोगो अपने अपने आवश्यकताओं के अनुसार पूरक आहारो को लिया जा सके ...तुलसी पोधा एक ओषधीय गुणकारी वीर्य वर्धक है और गांजा भाँग वीर्य नाशक पोधा है ..[ भांग को अनुपात से वीर्य स्तंभकारों में प्रयोग किया जाता हैं.].
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