मधुमेह [ डायबिटीज़ ]

मधुमेह, पेशाब [ मूत्र ] को नियमित निष्कासन की मात्राओं से विक़ार युक्त वो अवस्था जो मधु यानि शहद और मेह मतलब बरसात के समान स्थिति का होना, अर्थात बहुमूत्र, अधिक मात्र में मीठा पेशाब का आना. आजकल की आधुनिक जीवन शैली के कारण यह बीमारी अधिक मात्राओं में देखी जाती हैं. हमारा शरीर का विकास और वृद्धि आहार से उपलब्धियों के कारण ही होता हैं. जैसा हम आहार खाते उसी अनुसार शरीर की कृति और विकृति पैदा होती हैं, हमारे शरीर माता के गर्भ के बाद उसके निर्माण में जो प्रक्रिया होती उस का कर्म फल हम स्वंय को भुगतना पड़ता हैं, जिसके परिणाम को संचित फल कहते हैं, हमारे अज्ञानता के कारण या हटधर्मिता के कारण ये बीमारी को अपनाते हैं, असंतुलित रस आहार के सेवन से ही मधुमेह जो जाता हैं. जब इस बात का पता चलता तो देर हो चुकी होती, फिर भी इस गलती को सुधारात्मक उपाय आहार किया जाए तो ठीक हो सकते हैं, अन्य था यह एक चयापचय [ उपापचय ] विक़ार होता हैं, जिसमें रक्त में शक्कर की मात्रा बढ़ जाती हैं, रक्त में ग्लूकोज की मात्रा इतनी बढ़ जाती है कि वहा गुर्दों को कार्य क्षमता से अधिक मूत्र का निष्कासन करना पड़ता है. तब ग्लूकोज मूत्र में आने लग जाता हैं. इन्सुलिन की कमी हो जाती और इन्सुलिन की कमी होने से वसा तथा प्रोटीन के चयापचय [ उपापचय ] को हानी करता हैं और किसी वजन में कमी आती है व् उतकों की घाव भरने की क्षमता में कमी हो जाती हैं, किसी व्यक्ति को प्यास और भूख अधिक लगती हैं, मूत्र ज्यादा आता है या वजन में एकाएक कमी आ जाती हैं, आँखो की रौशनी में धुंधलापन आ जाता, शरीर के विभिन्न अंगों में पीड़ादायक होना भी पाया जाता हैं, अंगों का कमजोर होना, पैरो में दर्द रहना, कमजोर पुरुषार्थ [ सेक्स करने में कमजोर ] होना पाया जाता हैं.
     आज कल की दवाईया से बेअसर, नकली दवाओ का बढ़ता कारोबार, रोगनाशक अंग्रेजी दवाओं के कुप्रभाव [ साइड इफेक्ट्स ] से भी बचा नही जा सकता, अगर बीमारियों को नियंत्रण नही किया जाए तो घातक हो सकता हैं. भोजन की नई पद्धतियों को अपनाएं और प्राकृतिक उपचार अपनाएं
    मधुमेह [ डायबिटीज़ ] पर नियंत्रण नही रखने पर अधापन, गुर्दों की ख़राबी, जैसी जटिलताओं के उत्पन्न विकारों का सामना करना पड़ता हैं, एक शोध से पता चला केवल अंग्रेजी दवाओं को सुगर नियंत्रण के सहारे रहने पर धीरे-धीरे दवा की मात्रा बढ़ानी पड़ती हैं, बाद में खाने वाली दवा काम करना बंद कर देतीं हैं, जिसका मूल कारण तामसी प्रकृति होने से तामसी आहार को ग्रहण करना. अब देर किस बात की आप सात्विक प्रकाश वान जीवन सुधारना चाहते तो बदलिए अपनी राजसिक आहार जीवन शैली तन और मन की और स्वस्थ्य जीवन जियें अगर परामर्श चाहते तो सशुल्क आपको ईमेल से मिल जायेगा.  
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