शादी करने से पूर्व अपने जीवन में शादी के बाद जीने की शिक्षा के लिए शिष्य गुरु के पास गया और पूछा की आप वो राज बताये जिससे कैसे पति-पत्नी शांति पूर्वक जीवन को आराम से निभाया जा सके, गुरु ने कहा बैठ अभी बताता हु .गुरु ने अपनी पत्नी को जेठ माह की भरी दुपहरी में आवाज लगाई ,श्रीमतीजी एक दीपक लगाकर लाना और सुनते ही गुरु की पत्नी दीपक लगाकर लेकर आ गई फिर उस को पति के सामने रख दिया .तुरन्त गुरु ने अपनी पत्नी से कहा की दो गिलास मीठा दूध लेकर आये का आदेश पाकर दो गिलास दूध लेकर हाजिर हो गई .गुरु दूध को पीता हुआ अपनी पत्नी का व् दूध का गुणगान करने लगा की क्या मीठा दूध लाया कहते हुए पूरी गिलास दूध पी गये, मगर शिष्य दूध का एक गुट लेकर जाना की दूध में तो नमक मिला हुआ है एवं खारे दूध को कैसे पिए जा रहे है। अचानक शिष्य बोल पड़ा गुरूजी आप को अपनी पत्नी का दोष दीखता ही नही की दूध में शक्कर की बजाय नमक मिलाया हुआ है, और पहले तो दिन के उजाले में दीपक मंगाया तो पत्नी ने पुछा नही की आप को दिन के उजाले में दीपक की क्या जरूरत है .फिर गुरु ने बताया की यह ही तो ज्ञान की बात है मैने दिन के उजाले में दीपक मंगाया तो पत्नी ने मुझे पूछा नही की दिन के उजाले में दीपक का क्या करोगे और पत्नी ने शक्कर की बजाय नमक मिला कर दूध लाया तो मैने कोई शिकायत नही की हो सकता भूल हो गई हो जिसके अन्य कारण भी हो सकते घर में बहुत काम रहते है। यानि सत्य से बड़ा शील गुण है ,सत्य तो यह है की दूध मीठे की बजाय खारा है परन्तु सत्य को नही बताकर पति पत्नी की गलती को अपनी गलती मान लेता तो घर में शांति ही बनी रहेगी और पत्नी अपने पति की गलती को अपना मान लेती तो भी घर में शांति ही बनी रहेगी ; अगर हमारी तरह रह सकते तो सकारात्मक जीवन जीने में शांति बनी रहेगी और तुम्हारे नकारात्मक विचार रहे तो क्रांति [ अशांति ] अपने जीवन जीने में बनी रहेगी ....
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