गुरुवार, 25 अप्रैल 2013

शीघ्रपतन


शीघ्र पतन होने  के कारण  
शीघ्र पतन कोई बीमारी नही होकर अतिरिक्त विचारोत्तेजक कल्पनाओं का भार हैं ,
भारत में मर्यादा और धर्म के कारण हम सेक्स क के साथ अपने रिश्तों के बारे में ईमानदारी से नैदानिक हल के लिए असुविधाजनक महसूस करते है नतीजा की अपने परिवार में करियर या मित्रों के साथ स्वंय जवान  होते बौने होने का अभ्यास जो हमारी कमज़ोरी को बढ़ावा देता है और फंसे हुए लगते है साथ ही साथ अपराधी की भावना ज्यादा प्रबलता के साथ खुद को ही उत्पीडन ,भय ,चिंता का कारण बन कर दर्दनाक परेशान युक्त अति पारिवारिक  धार्मिक या सांस्कृतिक बताते हुए योंन को अपने जीवन पर गलत बढ़ाकर मन हि मन घटता जीवन और अति विचारशील प्रकट करते है और कामुक विचारों से परेशानियों को किसी से बता नही सकते की इस का तो सामाजिक बंधन है ,कथनी और करनी में भेद का निर्णय नही हो पता और शीघ्र पतन की बीमारी को पाल देते है.जो अति नुकीली चुभनी महसूस अंदर ही अंदर करते है जिस से विचारों की उड़ान वाले विचार आते है जो सामान्य चिंता से अधिक चिंता होता, हर तरफ  नकारात्मक विचारों का बसेरा हो जाता है . जिस से चिंता की बढ़ोतरी से भय ,आलस ,दिल की धड़कन तेजी होना ,उच्च रक्तचाप और पाचन चिन्तन के साथ सांसारिक जवाबदेही की बाते उभर कर आती है जो सामान्य  दैनिक अपने कार्यो में मन नही लगता है.और इस प्रकार से स्वयं अकेला ही नही साथ अपने जीवन साथी को भी इस मनोदैहिक पीड़ादायक जीवन जीने को मजबूर करना पड़ता हैं और गुप्त रोग की परिभाषा को बे बुनियाद बना कर लूटा जाता है एवं प्रार्थी भी ठगा जाता हैं . 

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