बुधवार, 1 अगस्त 2012

आहार का परम आनन्द = आहार का परम आनन्द होता भी है और परम आनन्द नही भी होता है .आप जो भोजन करते उसका ज्ञान भी जरूरी है

आहार का परम आनन्द = आहार का परम आनन्द होता भी है और परम आनन्द नही भी होता है .आप जो भोजन करते उसका ज्ञान भी जरूरी है की उसको खाने से जैसे मधुमेह ,मोटापा या ह्रदय रोग के बढ़ने में सहायक कितना होता है.फिर भी उस ज्ञान का ध्यान अगर सही तरीके से नही रखा जाता है तो आप देर सबेर बीमारी को आमंत्रण खुद ही दे रहे है ,उत्तम यही होगा की उस आहार के ध्यान का विचार को ही त्याग दिया जाये की मुझे स्वादिष्ट भोजन की बजाय एक संतुलित आहार की ही आवश्यकता है, तो आप उन खाने पिने वाली आहार की बीमारियों से शांति पा सकते है . और संतुलित आहार को एक नैदानिक पोषक आहार विशेषज्ञ की सलाह ही आप को एक स्वशासन स्वतंत्र स्वास्थ्य प्रदान कर सकता है जो वो जानता की आप की प्रकृति कैसी है और आप को उसके ज्ञान का ध्यानपूर्वक विचारों को अपनाना चाहिए .

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