आधुनिक जीवनशैली बच्चे बड़े सभी में परिवर्तन आ चूका है, इंटरनेट जैसा शब्द किसी के लिए फ़ायदेमंद, किसी के लिए लाभदायक, तो किसी के लिए नुकसानदायक.
उर्जावान आर्थिक सम्पन्न व्यापारी गण सर्वाधिक फायदा ले रहे है, अपना व्यापार को नई ऊचाई दे के और सुदृढ़ हो रहे है, एक स्थान पर बैठे बैठे आसानी से अपने व्यापार का संचालन करे रहे है,
सरकारी संस्थाएँ, गैर सरकारी संस्थाएँ भी कदम से कदम मिलाते चल रहे है, विधार्थी जीवन भी इस से सफल बना रहे है,
अपराधी भी अपना अपराध बढ़ाने में पीछे नहीं है.
परन्तु सर्वाधिक नुकसानदायक उन युवाओं का हो रहा है, जो अपनी संस्कृति को भुला कर, अपने परिवार की आज्ञा नही मानकर एक नशे के रूप में इंटरनेट का उपयोग का दुरुपयोग कर रहे है. अपनी जवाबदारी को भूल कर एक बाध्यकारी आदत से मजबूर हो कर हर दम इंटरनेट के फेसबुक, यूट्यूब, वेबसाइट और वाट्स एप से चिपके रहते है, ये इस प्रकार से जो लोग अपनी पिता, पत्नी, पति या भाई-बहनों की कमाई से अपने जीवन को बर्बाद ही कर रहे है,
आज कल बच्चो को भी इस स्मार्ट फोन से मानसिक विकास में बाधा उत्पन्न होने में अभीभावक का सयोग होना पाया गया है, बच्चो की अनावश्यक मांग को मना नहीं कर पाने के कारण से बच्चो को स्मार्ट फोन की आवश्यकता नहीं होने के बाद भी माता-पिता फोन उपलब्ध करा देते है, जब माता पिता बच्चे की ज़िद छुड़ाने के कारण स्मार्ट फोन दे देते जिसमे माता का सहयोग अधिक पाया जाता है, बच्चा अपने पास के वातावरण से प्रभावित ये भूल जाता की मुझे भविष्य में अपना जीवन सुधारना है, धीरे धीरे बच्चा इतना आदि हो चूका होता है की एक नशे के रूप में बाध्यकारी जीवन जीता जो अब दिन क्या, रात्रि क्या, हमेशा आन लाइन ही रहता हैं,
अपने बच्चे को समझाये की उसके लिए कितना नफा-नुकसान होता है, अपने बच्चे को रोकिये, नहीं माने तो टोकिये, स्कूल में जिस तरह पढ़ाई का टाइम टेबल होता वैसे ही इंटरनेट का एक टाइम टेबल निर्धारण कीजिये,
उर्जावान आर्थिक सम्पन्न व्यापारी गण सर्वाधिक फायदा ले रहे है, अपना व्यापार को नई ऊचाई दे के और सुदृढ़ हो रहे है, एक स्थान पर बैठे बैठे आसानी से अपने व्यापार का संचालन करे रहे है,
सरकारी संस्थाएँ, गैर सरकारी संस्थाएँ भी कदम से कदम मिलाते चल रहे है, विधार्थी जीवन भी इस से सफल बना रहे है,
अपराधी भी अपना अपराध बढ़ाने में पीछे नहीं है.
परन्तु सर्वाधिक नुकसानदायक उन युवाओं का हो रहा है, जो अपनी संस्कृति को भुला कर, अपने परिवार की आज्ञा नही मानकर एक नशे के रूप में इंटरनेट का उपयोग का दुरुपयोग कर रहे है. अपनी जवाबदारी को भूल कर एक बाध्यकारी आदत से मजबूर हो कर हर दम इंटरनेट के फेसबुक, यूट्यूब, वेबसाइट और वाट्स एप से चिपके रहते है, ये इस प्रकार से जो लोग अपनी पिता, पत्नी, पति या भाई-बहनों की कमाई से अपने जीवन को बर्बाद ही कर रहे है,
आज कल बच्चो को भी इस स्मार्ट फोन से मानसिक विकास में बाधा उत्पन्न होने में अभीभावक का सयोग होना पाया गया है, बच्चो की अनावश्यक मांग को मना नहीं कर पाने के कारण से बच्चो को स्मार्ट फोन की आवश्यकता नहीं होने के बाद भी माता-पिता फोन उपलब्ध करा देते है, जब माता पिता बच्चे की ज़िद छुड़ाने के कारण स्मार्ट फोन दे देते जिसमे माता का सहयोग अधिक पाया जाता है, बच्चा अपने पास के वातावरण से प्रभावित ये भूल जाता की मुझे भविष्य में अपना जीवन सुधारना है, धीरे धीरे बच्चा इतना आदि हो चूका होता है की एक नशे के रूप में बाध्यकारी जीवन जीता जो अब दिन क्या, रात्रि क्या, हमेशा आन लाइन ही रहता हैं,
अपने बच्चे को समझाये की उसके लिए कितना नफा-नुकसान होता है, अपने बच्चे को रोकिये, नहीं माने तो टोकिये, स्कूल में जिस तरह पढ़ाई का टाइम टेबल होता वैसे ही इंटरनेट का एक टाइम टेबल निर्धारण कीजिये,
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