गुप्त रोग - हस्तमैथून = मनुष्य का मन में तो उज्जवल विचार होते है ,परन्तु इन की इच्छा दूषित होते है .जो अनचाहे व अनजाने अनेक वासनाओ से घीर जाता है. अनेक कोशिशों के बावजूद इनकी काम वासना शांत नही होती ,यह बड़ी दुखद स्थिति होती है .इनकी काम वासना की परिणति सदा अवसाद में होती है जों गहरी पीड़ा और इस समय इनका कोई साझीदार नही होता .जों पीड़ा अवश्य मन में पलती जिससे मन विकल होता किसका कारण वासनाओं का आकर्षण होता है .वह वेदना को अकेलेपन में जीता हुआ किशोरावस्था से प्रोढ़ावस्था में बीत जाता है .अब कोई रास्ता नही दीखता और आंतरिक संघर्ष की घड़ी में वासना से हस्त मैथुन करता रहता है .जों यंत्र चालित हाथ हो जाते है ,जिसके कारण शारीरिक, मानसिक परेशानियों के कारण यह जवानी अपमान और तिरस्कार में जीवन बीतता है .
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शुक्रवार, 2 नवंबर 2012
हस्त मैथुन से वीर्य के रोग पैदा होते जैसे वीर्य का पतलापन ,वीर्यपात ,शीघ्रपतन
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गुप्त रोग
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श्री मान जी नमस्कार
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