गुरुवार, 1 नवंबर 2012

आत्म ,मन या बुद्धि में ज्ञान की धारणा भक्ति ,ज्ञान ,ध्यान ,कर्म और योग की राह या को अनु ग्रह करने से आत्म बल प्राप्त कर सकते है

खोया हुआ आत्म बल कैसे प्राप्त करे ! आप अपना खोया आत्मबल वापस प्राप्त कर सकते है ,जिसके लिए आप को धीरज की आवश्यकता होगी .दुष्कर और दुरूह भाग्य को भी मोड़-मरोड़ कर अपने अनुकूल बनाया जा सकता है .सभी तरह के विंध्य-बाधाओं को धूल-धूमित और धराशाही किया जा सकता है,असंभव को संभव बनाया जा सकता है, जिसके लिए अपने मनोविज्ञान को जानना जरूरी होता है की इस पिंड में अखण्ड वलय कार चेतना घोड़ों के वेग से कौलुह के बैल की तरह कहा दौड़ रही है .एक स्थिर चेतना से यह पिंड सूर्य के समान प्रकाश पाकर वेदान्त का कमल खिलता है, चेतना आठ अवस्था में रहती है. चेतना अपूर्व, नित्या, स्वयं प्रकाशित ,चंचलता,अक्षय और आनंद का स्रोत है .चेतना जागती-सोती रहती है. आठ मार्ग से .जों तरह तरह से सांसारिक गणित लगती रहती है .जिसको व्यावासायित्मका बुद्धि कह सकते ,इस को पटवारी बुद्धि भी कह सकते है .जों जोड़-तोड़ ,कुटिलता-क्रूरता में निरंतर बनी रहने के कारण साधना-समर्पण में विरोध करती है .आत्म ,मन या बुद्धि में ज्ञान की धारणा भक्ति ,ज्ञान ,ध्यान ,कर्म और योग की राह या को अनु ग्रह करने से आत्म बल प्राप्त कर सकते है ...जिससे आप पुनः अध्यात्मवेत्ता हो जायेंगे ..मन तत्व के ज्ञान हो जायेंगे .                                                 

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