चार प्रकार के नकारात्मक लोग कभी सुधर नही सकते . इन को नास्तिक भी कहा जाता है .इन की योजना-निर्माता को दुष्कृतिन कहते है .ये चार निम्नलिखित है . [ 1 ] मूढ़ - जो पशुओं की भाती अपने कठिन श्रम का लाभ उठाना चाहते है.इन में स्वार्थ की भावना प्रबल होती है .इन में स्वार्थ की भावना प्रबल होती है ..ये कर्मी के भार में हमेशा बंधे रहते है [ 2 ] नराधम या अधम, इन का कोई अपना धर्म नही होता है .बच्चों का दर्द हो तो इन को महसूस नही होता ,किसी को या किसी बात को नही मानना या नही सुनना . ये इनकी आदत होती है .[ 3 ] माययापहृतज्ञाना ( भ्रमित मनोधर्मी ) - इस प्रकार में वो मनुष्य आते जिस ने ज्ञान बहुत अधिक ले लिया हो और अपने आप को बुद्धिमान समझते और होते भी है ,जो बात उन्होंने सीखी उसी को हो मानेंगे .ये अधिकांश- बुद्धिमान व्यक्ति होते है . [ 4 ] आसुर भावमाश्रिताः = वितर्क में माहिर होते ,हर समय विरोध करना किसी की बात को नही सुनना और नही मानना .समाज की प्रति एक गति विधि का विरोध करना .सकारात्मक शक्ति इतनी बलवंत [ मजबूत ] होती जो नास्तिक की अवैध योजनाओं का प्रतिरोध करती और उन के योजना आयोंगो के ज्ञान को ध्वस्त कर देती है .परन्तु ये सकारात्मक विचारो के संपर्क आते तो इन की ग्रहण शीलता में सुधार होता
अपनी दिशा बदलो दशा अपने आप बदल जाएगी ,.. Change its direction will change on its own.. AAYURVED, MODREN, NUTRITION DIET & PSYCOLOGY गोपनीय ऑनलाइन परामर्श -- आपको हमारा परामर्श गोपनीयता की गारंटी है. हमारा ब्लॉग्स्पॉट, विश्वसनीय, सुरक्षित, और निजी है. एक उर्जावान, दोस्ताना, पेशेवर वातावरण में भौतिक चिकित्सा के लिए सर्वोत्तम संभव कार्यक्रम प्रदान करना है.
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