स्वप्नदोष अर्थात स्वप्न का दोष = .स्वप्नदोष, स्वप्नदोष, स्वप्नदोष अर्थात स्वप्न का दोष !आपने जो सपना देखा उसका दोष सपने सभी देखते परन्तु पूरे जो शारीरिक कर्म से होते उनको भौतिक रूप से सत्यापन नही होने से पुरुष या स्त्री दुआरा यौनानंद या नर नारी के समागम या सेक्स को काल्पनिक मिलन दिन भर देखते तब यही बात रात्रि में सपने में जिसके अंतर्गत स्वंय :स्फूर्त स्त्री पुरुष के मिलन का आनंद देखते ही पुरुष का वीर्य पात हो जाता है. यही स्थिति नारी में होती है उस की योनि चिपचिपी [ तरलता बढ़ जाती है अथवा स्निग्ध ] हो जाती है .ये आधुनिक जीवन शैली का परिणाम है। क्यों की काम के सपने बार बार देखे जाते और वो पूरे नही होते, तब यह प्रक्रिया अपने आप सपने में हो जाती .
सामान्य स्वस्थ संतुलित दिमाग वाले को यह बीमारी नही होतीं ,कामी विचारों के काल्पनिक सपने देखने वालो को भ्रम हो जाता है की में सेक्स करता हूँ ,धीरे-धीरे भ्रम की बीमारी हो जाती है जिस से दिमाग कमजोर होने से अति विचार आते है और अति विचार हस्तमैथुन को अपना लेता क्योंकि काम की पूर्ति के सपने जब पूरे नही होते .और हस्त मैथुन का अति प्रयोग शीघ्र पतन में परिवर्तन क्योंकि विचारों पर नियंत्रण नही रहने से भ्रम एक भय को पैदा कर देता है
इस के बावजूद कोई परेशानी होती तो , इस पोस्ट पर सलाह आप कर सकते मुझसे !
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें