रविवार, 5 मई 2013

भोजन


भोजन
1. भोजन पर्याप्त मात्रा से स्वच्छ, स्वास्थवर्धक, पौष्टिक और सुरक्षात्मक  होना चाहिए
2, भोजन पौष्टिकता में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेड, स्टार्च तथा खनिज-लवण युक्त होना चाहिए
3, प्रोटीन के लिए दाले , कार्बोहाइड्रेड के लिए अनाज , खनिज-लवण और विटामिन के लिए मौसमी फलो को लें 
,फल एवं हरी सब्ज़ियाँ पर्याप्त मात्रा में सेवन करना चाहिए
5, कम मसालों में पका हुआ भोजन जल्दी पचनेवाला हो ,फलो को प्राकृतिक ही उपयोग लेना चाहिए .
6. मौसम के अनुकूल के साथ अपनी प्रकृति अनुकूल भोजन करना चाहिए .
7. वात ,पित्त ,कफ, नाड़ी दोष के अनुकूल भोजन करना चाहिए .
8. नाड़ी दोष के प्रतिकूल भोजन दोष को बढाता जिससे बीमार होने की सम्भावना हो जाती हैं।
9. वात प्रकृति वालो को बासी उलद ,चना ,आलू ,ग्वारफली मसालेदार के साथ तेज खट्टे भोजन से बचना चाहिए .
10. पित्त प्रकृति वालो को बासी घी,तेल ,मिर्च ,मसालेदार ,खट्टे ,गैस उत्पन्न करने वाले भोजन से बचना चाहिए .
11. कफ प्रकृति वालो को बासी, खट्टे, ठंडा पानी, आधुनिक शीतल पेय से बचना चाहिए, प्याज़, केला, छाछ, दही नही खाये.
12. अक्षर बताया जाता की रात्रि में दूध पीना चाहिए परन्तु रात्रि में बहुमूत्र की शिकायत वालो को दूध नही पीना चाहिए .
13.भोजन नियमित समय पर पर्याप्त करना चाहिए .
14. तरल भोजन को धीरे-धीरे घुट-घुट पीना, और ठोस भोजन को चबा-चबा कर करना चाहिए .

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