वर्तमान
हमारे वर्तमान पर दो प्रकार के आवरण होते जिसकें कारण से वर्तमान ढका रहता हैं 1 बिता काल, स्मृति जो बीत चुकी उस की भी दो अवस्था होती सकारात्मक तथा नकारात्मक 2. आने वाला काल कल्पना की भी दो अवस्था रहती सकारात्मक और नकारात्मक इन दोनों की अवस्थाओं के हटते ही आनंद की अवस्था आती हैं और आनंद की अनुभूति होती हैं बिता कल और आने वाला कल की स्मृति और कल्पना दोनों की आवश्यकताओं के उपयोगिता का ध्यान पूर्वक संतुलन बनना ही मानवीय मूल्यों का जीवन जीना सफलता की श्रेणीबद्ध ज्ञानेन्द्रिया का जगाना ही हंस से परमहंस की प्राप्तियों का पद मिलना होता या पाना होता हैं
वर्तमान की पकड़ जब कमजोर होती तो दो प्रकार के आवरण की चिंता मे से एक आवरण भी संलग्न है तो भी दुःख का कारण होता है .
अपनी दिशा बदलो दशा अपने आप बदल जाएगी ,.. Change its direction will change on its own.. AAYURVED, MODREN, NUTRITION DIET & PSYCOLOGY गोपनीय ऑनलाइन परामर्श -- आपको हमारा परामर्श गोपनीयता की गारंटी है. हमारा ब्लॉग्स्पॉट, विश्वसनीय, सुरक्षित, और निजी है. एक उर्जावान, दोस्ताना, पेशेवर वातावरण में भौतिक चिकित्सा के लिए सर्वोत्तम संभव कार्यक्रम प्रदान करना है.
शुक्रवार, 6 सितंबर 2013
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