शीघ्र पतन = शीघ्रपतन के विसंगतियों और लूटे जाने से कैसे बचे ?
मानव जीवन में सिखा आचरण छूटते नही, जो बात चेतन स्वस्थ से सिख लेते तो उस आदत को आचरण में डाल देते फिर वह आदत छुट्टी नही . जो इन्सान की जीवन-शैली बन जाती हैं और इन्सान अपनी आदतों में सुख-आनंद को प्राप्त में लग जाता हैं फिर उस के परिणाम स्वीकार करने में समर्थ होता जब वो लाभ की अवस्था में रहता ,यदि हानि के परिणाम होती दोष हालत की बजाय किस्मत पर डाल देता हैं .
मानव जीवन में सिखा आचरण भिन्न-भिन्न प्रकार का चेतन अवस्था में रहता हैं .जो दो खिलाड़ी खेल की प्रतिस्पर्धा में होते और चोटिल हो जाते तन उनका ज्ञान उन चोट पर नही तो दर्द का अनुभव नही होता , तब वह उसका ज्ञानेन्द्रिया उस का अहसास नही करता . यदि अवस्था विपरीत होती चेतन चोटिल हैं और दर्द से शिकायत हैं एवं संभालने में परेशानी बनी रहती हैं .ठीक इसी समान मैथुन में शीघ्र पतन उभर कर आता हैं ,
मानव जीवन में सिखा आचरण छूटते नही, जो बात चेतन स्वस्थ से सिख लेते तो उस आदत को आचरण में डाल देते फिर वह आदत छुट्टी नही . जो इन्सान की जीवन-शैली बन जाती हैं और इन्सान अपनी आदतों में सुख-आनंद को प्राप्त में लग जाता हैं फिर उस के परिणाम स्वीकार करने में समर्थ होता जब वो लाभ की अवस्था में रहता ,यदि हानि के परिणाम होती दोष हालत की बजाय किस्मत पर डाल देता हैं .
मानव जीवन में सिखा आचरण भिन्न-भिन्न प्रकार का चेतन अवस्था में रहता हैं .जो दो खिलाड़ी खेल की प्रतिस्पर्धा में होते और चोटिल हो जाते तन उनका ज्ञान उन चोट पर नही तो दर्द का अनुभव नही होता , तब वह उसका ज्ञानेन्द्रिया उस का अहसास नही करता . यदि अवस्था विपरीत होती चेतन चोटिल हैं और दर्द से शिकायत हैं एवं संभालने में परेशानी बनी रहती हैं .ठीक इसी समान मैथुन में शीघ्र पतन उभर कर आता हैं ,
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