सोमवार, 28 अक्तूबर 2013

शंख

शंख
शंक और शंख में भेद होता हैं. शंक का अर्थ होता, भाला, खूंटा, किल, जब की शंख का अर्थ होता हैं एक प्रकार का बड़ा घोंघा जो समुद्र में पाया जाता हैं. घोंघा जाती के ऊपरी खोल [ आवृति ] से निकलने वाला भाग को शंख कहते हैं उस घोंघा की खोल शंख नाद [ शंख वाद्य ] के रूप में जाना जाता. जो दो प्रकार के होते जो एक दाये और दूसरा बायें हाथ में पकड़े जाते हैं. लोग प्रचलित शब्दों में शंख इन्सान को पर्याय शब्दों में भी बोला जाता जैसे ढपोर शंख. शंख को नकारात्मक और सकारात्मक शब्दों का भी उच्चारण काम में लिया जाता हैं. इन्द्रियों के संतुलन में शंख का बहुत महत्वपूर्ण स्थान होता हैं, इस शंख शब्द और शंख वस्तु तत्व का बहुत योग दान रहता है जिस का दोहरा फायदा जानकर ले लेते हैं, शंखनाद धनात्मक और ऋणात्मक फायदा लिया जा सकता हैं. शंखनाद शांति और क्रांति के इन दो अवसरों में बजाय जाता हैं. शंखनाद देवालयों और युद्धों [ लड़ाई ] के अवसर पर मुख्य भूमिका रहती जिसका मुख अवसर चेतन अवस्था को पैदा करता हैं. शांतिकारी और क्रांतिकारी अवस्थाओ में सभी इन्द्रियों का एकाग्रता का समावेश हो जाता हैं. इन्द्रिया प्रबल और वेगवान ज्यादा होती हैं. इस को वश में करना बड़ा कठिन होता हैं. विश्वामित्र जैसे महर्षि मेनका जैसी के साथ इंद्रिय भोग में प्रवृत होना पड़ा. मन और बुद्धि जब वश में करना कठिन होता हैं. तो आप किसी मंदिर में जाकर एक बार पूरे मन लगाकर जोर से शंख बजाना शुरू करो आप की सभी इन्द्रिया इस शंख बजने के लिए एक मत होकर चित को शांति ही देगा. कुछ नकारात्मक प्रभाव ढपोर शंख के शाब्दिक असरदार के लिए उस युवा या स्त्री-पुरुष का सहयोग लेंगे जो बातूनी होता वो सकारात्मक फायदा देता की वह श्रोता बनकर वक्ता इस प्रकार से अनुबंधित हो कर आप के बातों को सभी स्थानों पर प्रसारित कर देगा, दूसरा ढपोर शंख वो होता जो बिना वजह डिंग हाकता रहता राई का पर्वत बना कर लोगो को दिखा देता हैं. कुल मिला कर शंख की प्रवृति [ प्रकृति ] होती की उस का इस्तेमाल का ध्वनियाँ के प्रकारों का निकलना होता हैं, और उन प्रकारों के प्रभावों सकारात्मक और नकारात्मक गूँज की गुन्जाईस का हंस और कंश प्रवृति [ प्रकृति ] प्रकार के दोनों इन्सान फायदा ले लेते हैं.
 शंख ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हस्त रेखा में शंख को देख कर भविष्य वाणी भी की जाती हैं. वैदिक चिकित्सा के अनुसार त्रिविधि दुःख नाश किया जाता हैं. जैसे आधिभौमिक दुःख, आधिदैविक दुःख और आध्यात्मिक दुःख. शंखनाद से शारीरिक और मानसिक शक्ति का संचार होता जिस समय शंखनाद किया जाता उस समय शरीर के सभी अंगों में रक्त का परिसंचरण होने से रक्त विक़ार दूर होते हैं. आयुर्वेद शास्त्र के अनुसार इस शंख को औषधीय में प्राकृतिक कैल्शियम, गंधक, फास्फोरस के प्रतिनिधित्व के रूप में काम लिया जाता हैं.  

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