शनिवार, 21 सितंबर 2013

चर्म पर तिल

शरीर पर तिल  [ 2 ]
शीत प्रधान औषधि होम्योपैथ चिकित्सा 
निर्दिष्ट प्रमेहज रक्तदूषण के कारण श्लेष तथा चर्मसतह रोग उभरता हैं सुजाक की दबि हुई अवस्था, डीम्बवाहिनियो के शोथ के कारण भी तिल निकल आते हैं , जिनका रक्त अस्वाभाविक रूप से अत्यधिक जलयुक्त होता हैं, अतः भीगी हवा-पानी से उन्हें अत्यधिक कष्ट होता हैं. चांदनी से उत्त्पन्न उपसर्ग, तीव्र थकान और शीर्णता वाम पाश्रवी [ वाम भाग ज्यादा प्रभावी होता हैं ]
मन- स्थिर धारणाएं, मानो उस के बगल में कोई अपरिचित व्यक्ति उसकी बगल में बैठा हो , मानता की आत्मा और शरीर अलग-अलग हो, जैसे पेट में कोई प्राणी हो. संगीत से क्रन्दन और कम्पन्न.  
सिर – सिर में दर्द जैसे कोई किल ठोक दी गई हो, बाई ओर सिर दर्द सफ़ेद झाईदार रुसी, बाल शुष्क ओर झड़ते हो, मुखमंडल तैलीय
आखें – पलकों का स्नायु शूल रात में पलके चिपक जाती. पलकों के किनारे छाले ओर दर्द
कान – निगलते समय कडकडाहट सुनाई देना, कण से पिव आना या शोथ रहना .
नाक – पुराणी सरदी, नाक साफ करते समय दांत में दर्द .नथुनों में घाव, नाक की जड़ में दर्द .
मुख – जीभ की नोक में दर्द जीभ के जड़ किनारों पर सफ़ेद फफोले, दर्द नाक घाव, मसुड़ो का पीछे हटना.
आमाशय – भूख का सम्पुत्न लोप, ताजे आलू, मास से अरुचि, तैलीय भोजन के बाद खट्टी डकारे, प्याज नही कहा सकता, चाय पिने से अजीर्ण
उदर – फूला हुआ, पुराना अतिसार, उदर फुलाव, गडगडाहट, उदरशूल, कोष्टबद्धता, मलदुआर में चुभन, वेदनाये . 
मूत्र – मूत्रमार्ग सुजा हुआ, मूत्र धारा विभाजित, मूत्र त्याग के बाद बूंद बूंद मूत्र त्याग के साथ दर्द कभी-कभी अनियंत्रित,
पुरुष – लिंग चर्म, मुंड पर प्रदाह,
स्त्री – भंग व् मूलाधार विकार, प्रचुर प्रदर स्त्राव गाढ़ा व् हरा, बाये डिम्बाशय एवम् बाये वंक्षणप्रदेश [ inguinal region ] में अधिक दर्द .देरी से कम मात्रा में मासिक आना, मासिक से पहले पसीना आना.
श्वास सस्थान – दोपहर के बाद खांसीकर्म व् पेट में पीड़ा, ठन्डे पेय पदार्थों से वृद्धि,
शरीर का बाहरी भाग – चलते समय ऐसा लगता की मेरा शरीर काच का बना और टूट जाएगा , अंगुलियों की नोक सूजीव् लाल हुई, संधियों में कडकडाहट, एडियो में दर्द, नख भंगुर,
चर्म – मस्से, गुटीकाए, छुली और चकते, मीठा-मीठा व् तेज गंध वाला पसीना, जनेन्द्रिय व् मल दुआर क्षत व् व्रण, शुष्क चर्म ,एवं कथई रंग के धब्बे, विकारी भाग पर खुलने से दर्द, स्पर्श अधिक स्वेंदशील, हाथ व् बड़ो पर कत्थई रंग के घब्बे, शरीर के एक भाग में ठंडापन,
नींद – अस्थाई नींद
ज्वर – बुखार जंगो से शुरू सिर को छोड़ कर सभी अंगों पर पसीना, नींद में खट्टा व शहद जैसी गंध वाला पसीना, शाम के समय रक्तावेग के साथ रक्तवाहनियो में स्पंदन. th

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