सर्दी-जुखाम
जुखाम होना एक आम बात हैं
सर्दी जुखाम – सर्दी जुखाम आम तौर पर सभी को कभी न कभी होता ही हैं, यह बीमारी एक प्रकार से जीवन-शैली के प्रभाव के कारण उत्पन्न होती है. जीवन शैली जो पुरुष-स्त्री के जीवन जीने का एक अंदाज़ होता जिसमे उस के रहने उठाने बैठने खाने पिने में अपनी एक आदत का अभ्यास हो जाता. परन्तु उस समय एक भूल हो ही जाती मैं मेरी आदतन दैनिक जीवन जीने की जो अभ्यास हैं वो मेरे शरीर के प्रकृति से अनुकूल हैं अथवा नही की भूल कर देता जिस के कारण परेशानी अधिक होती हैं. मानव जीवन की प्रकृति तीन प्रकार की होती सतोगुणी, रजोगुण और तमोगुण की तरह कफज शरीर, पितज शरीर, वातज शरीर . इस प्रकार तीनों शरीर की प्रकृति में कफज प्रकृति वाले शरीर के लोग ज्यादातर परेशान होते हैं. सर्दी जुखाम के ये लक्षण होते हमेशा नाक का बहाना, नाक में कफ होने से सांसों के लेने में परेशानी और फेफड़ो में कफ की वृद्धि से ख़ासी [ लगातार नाक से पानी और कफ का बहना शुरू ही रहता हैं ]. सर्द-गर्म मौसम हो या सर्द-गर्म खान-पान करने से भी समस्या हो सकती हैं. अचानक मौसम परिवर्तन से भी इस प्रकार के लोगो को परेशानी उठानी पड़ती हैं. सर्दी-जुखाम से बचाव में मौसम का ध्यान पूर्वक रहन सहन के साथ खाने पिने का ध्यान रखना जरूरी होता हैं. कफ उत्पन्न करनेवाले आहार को प्रति बंधित करना ज़रुरी होता हैं. जैसे खट्टे, तैलीय और शीतलता प्रकृति के आहार को पूर्णतया बंद के दें. खट्टे आहार जैसे= इमली, छाछ, दही कच्ची कैरी अनानास संतरा छोटे बड़े बेर. तैलीय आहार = जैसे पुराना आचार, धी, तेल, नारियल, तिल, मूंगफली या या इन से बने खाद्य पदार्थ. शीतलता को प्रदान करनेवाले आहार = जैसे प्याज़, पुदीना, टमाटर बाजारू उत्पादन = पिपरमेंट, सुपारी [ कोप्ता, कचोरी मिर्ची बड़ा और जो तेल में पकाया हुआ अलका भरी भोजन इत्यादि ] फ्रिज के ठंडे पेय, आईस क्रीम, चॉकलेट विषेश करके गरमा-गर्म खाने के बाद ठंडा पेय नही पीना चाहिए.
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