बड़ा अफ़सोसजनक बात हैं की आयुर्वेद चिकित्सा के नाम से यहा भारत में हर कोई चिकित्सक बना हुआ, इधर सुनी उधर सुनाई और हो गया इलाज, जिससे भ्रामक आयुर्वेद चिकित्सा के रूप में विकृति पैदा कर दी, शरीर के मानसिक और शारीरिक अध्ययन किये बिना ही अथवा बिना अनुसंधान के ही बातों का तिल का ताड़ बना दिया जाता हैं, जिससे भारतीय वैदिक चिकित्सा को जो स्थान आज मिलना चाहिए था उस स्थान को बाजार की आधुनिक दवा कंपनियों ने इलाज के नाम पर पाकेटमार बनी हुई हैं, दवा कंपनियों के निर्देशन में आज के आधुनिक डाक्टर अपनी चिकित्सा लय में हमेशा के रोगी को बाँध के रखते की ये दवाई जीवन भर खानी पड़ेगी, जब घाव ठीक हो जाता तो दवाई नहीं खाते परन्तु रक्तचाप की बीमारी बता कर हमेशा के लिए अपना ग्राहक बना देते हैं, जब की जीवन शैली की बीमारी होती, इस प्रकार की बीमारियों में दवा खाने की आवश्यकता ही नहीं होती, ये खान पान आदतों की बीमारी होती. स्वयं सेवन किये बिना ही जैसे तुलसी पत्र को सभी लोग प्रायोजित कर देते की पाच से पचास पत्ते रोज खाओ जो चिकित्सक कि नजर से गलत हो सकता हैं. क्योंकि पित्त प्रकोप में वर्जित होता हैं तुलसी पत्र, नारी के गुप्तांगो में अगर गर्मी है तो वो गर्मी को और अधिक बढ़ाए गी और नारी का जीवन और दुःख दाई हो जायेगा, और तुलसी पत्र के प्रति नफरत और भारतीय चिकित्सा से भरोसा उठ जाता हैं. चिकित्सा को अनुभवी चिकित्सक के दिशा निर्देश से ही प्रयोग करना चाहिएं. जिससे आप का रोग नष्ट हो कर एक अच्छा स्वास्थ्य मिल सके.
अपनी दिशा बदलो दशा अपने आप बदल जाएगी ,.. Change its direction will change on its own.. AAYURVED, MODREN, NUTRITION DIET & PSYCOLOGY गोपनीय ऑनलाइन परामर्श -- आपको हमारा परामर्श गोपनीयता की गारंटी है. हमारा ब्लॉग्स्पॉट, विश्वसनीय, सुरक्षित, और निजी है. एक उर्जावान, दोस्ताना, पेशेवर वातावरण में भौतिक चिकित्सा के लिए सर्वोत्तम संभव कार्यक्रम प्रदान करना है.
गुरुवार, 9 अक्टूबर 2014
हर कोई वैद्य
लेबल:
भ्रम
M.A. Psychology, DNYS, DNHE, CHMS, Aayurved Ratn, CBT/ERP Therapy और संपर्क नंबर 98290 85951
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें