शनिवार, 25 अक्टूबर 2014

चित्ताकर्ष्ण

 चित का आकर्षण में धनात्मक स्थान्तरण और ऋणात्मक स्थान्तरण होने की से रोग अपनी उर्जा का बर्बाद करने से नहीं रुकता. जिसका कारण दमित स्मृतियों एवं मानसिक संघर्षों में रोगी को सूझ उत्पन्न नहीं होती, जिससें उस मनुष्य में दमित स्मृतियों, चिन्तनो, डर, आशंकाओं एवं मानसिक संघर्षों का उत्पन्न होना मनोलेंगिक विकास [ psychosexual development ] में उत्पन्न समस्याओं के कारण होते है जिसमे आपसी टकराव बना रहता हैं. बल्कि दोष पूर्ण जीवनशैली तथा मन में गलत धारणाओ का विकास होता रहता हैं.  
 रोग में अपने अहं के कारण मानसिक उर्जा पर नियंत्रण नहीं रहता हैं. रोगी धीरे नियमित उपाहं [ id ]  तथा पराहं [ super ego ] की क्रियाओं पर अहं [ ego ] का नियंत्रण नहीं रहता. संघर्ष, इच्छाओ, डर आदि को अचेतन [ unconscions ] से बाहर निकलने में पर्याप्त सूझ [ insight ] विकसित करने की कोशिश नहीं करता. और निरंतरता से उलझा हुआ रहता हैं,
 इसको सरल भाषा में यू समझा जा सकता हैं.
मनुष्य के चित वर्तमान पूर्व दमित स्मृतियों, चिन्तनो, डर, आशंकाओं कारण अपने में रक्षात्मक मनोवृति से झुझता हैं. जो एक जीवनशैली बन जाता हैं,
1 धनात्मक स्थान्तरण [ positive transferensce ] विचार जैसे दिखी शराब की बोतल ही पक्ष में अपने प्रति स्नेह एवं प्रेम दीखता  हैं.
2. ऋणात्मक स्थान्तरण [ negative transferensce ] विचार जैसे दिखी शराब की बोतल में विरोध में चिल्लाना शुरू हो जाता हैं अपनी घृणा एवं संवेगों को विलग की प्रतिक्रियाओं को प्रकट करता हैं,                                       3. प्रति स्थान्तरण [ coutner transferensce ]  ये अवस्था विश्लेषणात्मक नजर से देखता हैं.                              

सामान्य पुरुष के लक्षण  
धीरज और संतोष वाले सामान्य मनुष्य को शराब की बोतल के अलावा, कुछ अन्य आकृतियों युक्त की भी मिठाई दिखती साथ मानव का चित्र भी दिखता जिसकी कोई प्रतिक्रियाओ का होना प्रकटीकरण नहीं होता. 
















       

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें