मानव दर्शन = मानव दर्शन देखा जाए तो इस मानव शरीर की तुलना पाच तत्वों से की जाती है ,जल ,वायु ,अग्नि ,आकाश तथा धरती के योग से इस मानव शरीर का निर्माण हुआ इस तत्वों की कमी या वृदि से शांति और क्रांति ,सकारात्मक या नकारात्मक प्रभाव साफ साफ देखा जा सकता,जो तन और मन में सीधा सीधा दर्शन होता है .और इस मानव शरीर का तुलनात्मक अध्यन में देखा गया की इस से प्रथ्वी [ धरती ] में भी समानता पाई जाती है .माना कि जल तत्व की मानव शरीर पर कमी या वृदि से कैसे प्रभाव पड़ता तो साफ तौर से देखा जाता की जब शरीर में जल की कमी होने पर शरीर का सुखना दीखता है और वृदि पर दमा जैसी बिमारिया दिखाई देती है अथवा बदन पर सुजन आदि, इन तत्वों के असमान संतुलन के पीछे क्या कारण और कहा पर रुकावट होती उन कारणों को जानना जरूरी है .पेट में अग्नि होती और अग्नि के भी तिन रूप होते है, माचिस के तीली की लौ , तेल भरी दीपक की लौ , और रसोई भट्टी [ रसोई गैस ] के लौ ,अब अगर इन को निरंतर जलना हो और मांग और पूर्ति में असंतुलन हो तो इन के असंतुलन बीज की अणु परमाणु के रूप की प्रवेश कब और कैसे हुआ व् इन के लाभ हानि का निवारण अज्ञात है तो दुखो का कारण बन जायेगा .इन पाच तत्वों का प्रभाव तन और मन दोनों पर पड़ता है .अज्ञात कारणों के अणु परमाणु के बीजो दुआरा तन के साथ मन पर भी भारी बीमारी का बोज ढोना पड़ता है .
अपनी दिशा बदलो दशा अपने आप बदल जाएगी ,.. Change its direction will change on its own.. AAYURVED, MODREN, NUTRITION DIET & PSYCOLOGY गोपनीय ऑनलाइन परामर्श -- आपको हमारा परामर्श गोपनीयता की गारंटी है. हमारा ब्लॉग्स्पॉट, विश्वसनीय, सुरक्षित, और निजी है. एक उर्जावान, दोस्ताना, पेशेवर वातावरण में भौतिक चिकित्सा के लिए सर्वोत्तम संभव कार्यक्रम प्रदान करना है.
सोमवार, 2 अप्रैल 2012
mental and body philosophy,
M.A. Psychology, DNYS, DNHE, CHMS, Aayurved Ratn, CBT/ERP Therapy और संपर्क नंबर 98290 85951
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें