जीवन प्रबंधन कैसे करे = मनुष्य को सामाजिक जीवन जीने के लिए बहुत कुछ ज्ञान विज्ञान अर्जित करने की आवश्यकता पड़ती है . हम जो अर्जित करते है इस शरीर के पांच स्थानों के रास्तों या माध्यमो से ग्रहण करते है जैसे कानों से सुनना ,आँखों से देखना ,नाक से सुगंध लेना ,त्वचा से मौसम का अनुभव लेना ,जीभ से स्वाद का लेना .लेते या ग्रहण को पांच विभागों से परन्तु लेते क्यों ,क्या ,किस लिए ,कब और कैसे का भी ध्यान रखना जरूरी होता है .मान ली जिये आप को कोई अच्छा और बुरा सुनाया है तो आप का ध्यान दो शब्द अच्छा या बुरा पर से किसी एक वाक्य के उपर मनन होगा .जो शब्द आप ग्रहण करेगा उस शब्द के अनुसार ही आप नकारात्मक या सकारात्मक सोच बनेगी . परन्तु कभी-कभी हमे मिले जुले या संयुक्त वाक् यों को प्रयोग में लाने पर आपस में विरोध सहन करना पड़ता है जिसका कारण होता हमारी नासमझी से चित अवरोधं से हम समझ नही पाते की किस बातचीत को छानना ,बिनना या फिल्टर करना है और फीर उसका उपयोग करना है .कानो से सुनी हुई बात को शुद्ध कीजिये और उस बात को ग्रहण कीजिये जैसे महिला दाल से कंकर हटा कर दाल काम में लेती और कचरा या कंकर को फेक देती है ...
अपनी दिशा बदलो दशा अपने आप बदल जाएगी ,.. Change its direction will change on its own.. AAYURVED, MODREN, NUTRITION DIET & PSYCOLOGY गोपनीय ऑनलाइन परामर्श -- आपको हमारा परामर्श गोपनीयता की गारंटी है. हमारा ब्लॉग्स्पॉट, विश्वसनीय, सुरक्षित, और निजी है. एक उर्जावान, दोस्ताना, पेशेवर वातावरण में भौतिक चिकित्सा के लिए सर्वोत्तम संभव कार्यक्रम प्रदान करना है.
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