रेशायुक्त आहार यानि फ़ाइबर आहार = फाइबर आहार यानि रेशायुक्त आहार आज के युग में इस नाम के आहार डीब्बाबंद का प्रचलन होने लगा है .रेशा भी दो प्रकार के पाए जाते है। धुलनशील रेशा और अधुलनशील रेशा , प्राय सभी उन सा बुत अनाजों में ये दोनों प्रकार के रेशा पाए जाते है. जिस अनाज और दालों में धुलनशील रेशा की मात्रा ज्यादा होती है तो उस में अधुलनशील रेशा की मात्रा कम पायी जाती है किसी किसी इस का विपरीत आधार युक्त रेशा पाया जाता है . रेशायुक्त आहार खाने से भूख नही लगती .यह आहार को अच्छी तरह पचता है जिससे शरीर को बल मिलता है .खासकर यह आंत ,लीवर [ कलेजा ] ,गुर्दों ,हृदय और मलाशय पर अच्छा कार्य करता जिससे इन सभी अंगो को बल मिलता है ,जब इस प्रकार से शरीर में सभी जगह रक्त का संचरण होता है तो, शरीर के टोक्सिन भी अपने आप बाहर निकल जाते है .जिस से कैंसर जैसे बीमारियों का रुकता संभव नही होता ,रेशा युक्त भोजन करने से ,जरूरत से ज्यादा आहार की मांग यह शरीर नही करता. क्यो कि शरीर को संतुष्टिदायक होता है पाचनक्रिया अच्छी होने से यह मोटापा नही बढने देता है, ह्रदयघात से बचाव करता है, आँत और मलाशय कैंसर रोधी होता है और मोटापा नाशक होता है .
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