मंगलवार, 9 अक्तूबर 2012

जीवन प्रबन्धन कैसे करे !

जीवन प्रबंधन कैसे करे != अक्षर अपना या परिवार के सदस्यों का जीवन प्रबंध कैसे करे का विचार आता है या अपने जीवन को कैसे सुचारु रूप से चलाने या भोगे .हमे जीवन में धीरे धीरे ही सीखते है कुछ कर्म तुरंत फलदायी होते है और कुछ कर्म देरी से फलदायी होते है जैसे आग से हाथ का जलवा ,दूध से दही का जमाना  और आम का बोना और उस का फल लगाना में अंतर होता है ,ठीक वैसी ही हमारे कर्म और कर्म के फलो में अंतर होता है .उसी प्रकार से शिक्षा का ग्रहण करना मे और उस के परिणाम में समय लगता है .हर प्रकार का प्रबंधन छोटे छोटे बच्चों के कदम की तरह ही होता है .आग से हाथ का जलना एक नकारात्मक कर्म होता है ठीक वैसे ही गंदी भाषा या गालिया जल्दी सीखी जाती है और अच्छी बाते या आदत निर्माण का आप जैसा कर्म करेंगे वैसा फल को भोगने में वैसा ही समय लगता है . 

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