रविवार, 7 अक्तूबर 2012

अपनी ऊर्जा शक्तियों को जाने तथा उनका विकास करे

अपने भीतरी छिपी उर्जा शक्तियों को पहचाने और लाभ ले ..भौतिकता और भक्ति .. भौतिकता [ मानव जीवन में दैनिक कार्य जो विकास के लिए , जीवन यापन के लिए ,सामाजिक आर्थिक जीवन जीने के लिए ] और भक्ति [ परिवार पोषण के साथ जीवन मरण से मोक्ष के लिए भगवान से  प्रार्थना ] आसान हो ! [ 1 ] पहली परा शक्ति --यह सब शक्तियों का मूल और आधार है . [ 2 ]  दूसरी, ज्ञान शक्ति . यह मन बुद्धि   चित और अहंकार का रूप धारण कर मनुष्य की क्रिया  का  कारण बन जाती है, इसके द्वारा दूर दृष्टि ,अंतज्ञान और अंतदुष्टि  जैसी सिध्दिया प्राप्त  होती है ,  [ 3 ] तीसरी -इच्छा शक्ति यह शरीर के स्नायु  मण्डल में लहरे उत्पन्न करती है , जिससे  इन्द्रिया सक्रिय होती है और कार्य करने की तरफ संचालित होती है , जब यह शक्ति  सतगुण से जुड़ जाती है तो सुख की ओर शांति की वृद्धि  होती है . [ 4 ] चौथी -क्रिया शक्ति - सात्विक  इच्छा शक्ति इसी के द्वारा कार्य रूप में परिणत फल को पैदा करती है . [ 5 ] पांच वी -कुण्डलिनी शक्ति - यह एक तरह से जीवन शक्ति है . इसके दो रूप है , समष्टि और व्यष्टि ; समष्टि का अर्थ है . पूरी सृष्टि में कई रूपों में विधमान रहना जैसे प्राण प्रकृति का जीवन तत्व .व्यष्टि - रूप में मनुष्य के शरीर के भीतर तेजोमय शक्ति के रूप में रहती है , इस शक्ति दुआरा मन संचालित होता है .इसे परमात्मा की ओर मोड़ दे तो माया के बंधन से मुक्ति मिलती  है। यह साधना से जागृत होती है ,[ 6 ] छट्टी - मात्र का शक्ति - यह अक्षर विज्ञान अक्षर शब्द , वाक्य ज्ञान विधा की शक्ति है .मन्त्रो में शब्दों के शब्दों के प्रभाव कारण यही है ,इसमे बिना कुंडलीनी शक्ति नही जागती है . इस प्रकार अपनी शक्तियों पहचाने और उसमे सुधार करे ...      

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