..संत ना छोड़े संतई कोटि मिले कुसंग ,चंदन विष व्यापे नही लिपटे रहत भुजंग .........चंदन और सांप के निकटता के कारण को जानना जरूरी है , इन दोनों के स्वभाव और प्रभाव के बारे ने पुराने जमाने में बहुत लिख जा चुका है जो संस्कृत में है , सांप जहरीला बहुत होता सभी जानते है और जो जहरीला होता वो गर्म तासीर का होता है और गर्म तासीर ठंडक को तलाशता है की उस को शांति कहा मिले .आप सभी को देंखे की की जो क्रोध किस्म का आदमी होता वो शांति को खोजते परन्तु अपने अहंकार के कारण परदे के पीछे शांति चाहता है और सांप की भाती उस अपने स्वभाव को भी छोड़ना नही चाहता है डसने का ,और चंदन तो चंदन शीतल और घोटने पर सुगंघित और ज्यादा सुगंध बढ़ता है ,मानव चंदन को सिर पर इस लिये हि लगाते .इस प्रकार कोई चिंता की बात नही होनी चाहिए की पर्दे के पीछे छिपे पर कौन कौन सा राग या नाटकीय व्यवहार कर रहा हैं .
अपनी दिशा बदलो दशा अपने आप बदल जाएगी ,.. Change its direction will change on its own.. AAYURVED, MODREN, NUTRITION DIET & PSYCOLOGY गोपनीय ऑनलाइन परामर्श -- आपको हमारा परामर्श गोपनीयता की गारंटी है. हमारा ब्लॉग्स्पॉट, विश्वसनीय, सुरक्षित, और निजी है. एक उर्जावान, दोस्ताना, पेशेवर वातावरण में भौतिक चिकित्सा के लिए सर्वोत्तम संभव कार्यक्रम प्रदान करना है.
बुधवार, 30 जनवरी 2013
नाटकीयता से अपना आपा प्रकटीकरण करना भी स्वभाव होता है
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