बुधवार, 27 मार्च 2013

हमारी दैनिक जीवनशैली में हमारे विचारों की सफलता या असफलताओं का कारण निम्न प्रकार से प्रभावित होते है हम !

नौ कर्म में श्रवण कर्म की भूमिका = प्रति एक व्यक्ति का अपना अपना मनोविज्ञान होता है उस सभी की चेतन अवस्था की क्रिया शीलता का अध्ययन अलग अलग होता है ,दो रेलवे कर्म चारी आपस में बाते करते है , पहला गाड़ी रोको मत, जाने दो .और दुसया समझता की गाड़ी रोको , मत जाने दो ! तो दोनों में विरोधाभास हो जायेगा . कारण की पहले वाले ने तो कहा की गाड़ी रोको मत, जाने दो ! जो रोको मत के बाद रुक कर बोल रहा है की गाड़ी को जाने दो . परन्तु इधर दूसरा सुन रहा की, गाड़ी रोको , मत जाने दो !मतलब गलत ही निकाल रहा की मत जाने दो [ लिखने वाले और पढने वाले को भी समझना जरूरी की पूरे वाक्यांशों कैसे बोला या  लिखा गया . [ 1 ] गाड़ी रोको मत, जाने दो =  [ 2 ] गाड़ी रोको, मत जाने दो. बोलने वाले और सुनने वाले में विरोधाभास होने का ये कारण होता की सुनने वाले के विचारों की गति अधिक या कम हो सकती है .जिसके कारण दैनिक जीवन मे कलह ,धुटन ,हार या असफलताओं का कारण होता .समझ इसी में की दोबारा वार्तालाप सुने या पढ़े . 

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