गुरुवार, 28 मार्च 2013

नौ काम्य कर्मो को किस प्रकार से अपना जीवनशैली को सुगम बना सके .

नौ काम्य कर्म में स्मरण कर्म की भूमिका = बुद्धि दुआरा याद करना को स्मरण कहते है ,जब चेतन अवस्था में हम किसी बात को सुनते है तो तो उसका वापस कीर्तन करते तो अपनी बुद्धि से याद करके स्मरण करते है ,जिस से याद करने की क्षमता को बढ़ावा मिलता जो शिक्षार्थी के लिए या कमजोर याददास्त वालो को इस प्रकार के अभ्यास से स्मरण शक्ति को बढावा जा सकता है .किसी बात को सुने ध्यान पूर्वक ,फिर उस को बोले कीर्तन [ बखान ] का अभ्यास को स्मरण करे जिस से याददास्त अच्छी बन सकेगी .
नौ काम्य कर्म में लघु ,शुक्ष्म का उपयोग, पाद सेवन कर्म = किसी भी कर्म प्राय हमारी नज़रे ऊपरी सतह पर ही ठहरती है ,हमे जड तत्व पर भी ध्यान पूर्वक गुण का उपयोग करना चाहिए ,अक्षर हमारी नजर चोटी पर ही जाती है एडी तक नही [ नीचें ], भगवान, पौधे, मनुष्य या पशु सबकी जड़े भिन्न भिन्न प्रकार से होती ,पाद सेवन का अर्थ अपने अहंकार को त्याग कर शुक्ष्म या छिपा ज्ञान को अर्जित करना की वो किस संज्ञा पर टीका है, खड़ा है ,उस का बैक ग्राउंड को ध्यान देना हैं .जिस से आप ज्ञान का विकास हो सके.
   

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