होम्योपैथी चिकित्सा व्यवहार – होम्योपैथी चिकित्सा मात्र बहुव्यापी नही होकर ,सर्वव्यापी चिकित्सा होती है .यह समस्त पदार्थों की क्रिया की जाँच करती हैं.की वे सभी खाद्य पदार्थ हो या पेय पदार्थ मिठाई,नमकीन, तैलीय ,विष ,और जीवन जीने की शैली यह इन की किया की जाँच स्वस्थ, बीमार पौधों और पशुओं पर करती हैं. सभी तत्वों की जाँच करना इनका सिद्धांत होता है. जिन औषधियों का सिद्धिकरण हुआ उनकी व्यवहार में लाने के रोगों के नामांकरण की आवश्यकता होती हैं क्यों की उसका उपयोग उन लक्षणों के आधार पर नही किया जा सकता .जो रोग साधक औषधियों के चुनाव का वैधानिक रूप से मार्गदर्शन करती हैं .
मैं मानता हुं की औषधियों की संख्या में वृद्धि किये जाने के बारे में अनेक मत भेद हैं अर्थात जीने बारे में भ्रामक विचारधाराओं को अनुसंधानकर्ताओं के उपयोगिताओं के ज्ञान की विश्वस्त सूत्र की प्राप्ति हो .ताकि भविष्य में उनका सिद्धिकरण कर उन की उपयोगिता खोजी जा सके और रोग मुक्ति कारक औषधियों की संख्या की उतरोतर वृद्धि हो .
मैं मानता हुं की औषधियों की संख्या में वृद्धि किये जाने के बारे में अनेक मत भेद हैं अर्थात जीने बारे में भ्रामक विचारधाराओं को अनुसंधानकर्ताओं के उपयोगिताओं के ज्ञान की विश्वस्त सूत्र की प्राप्ति हो .ताकि भविष्य में उनका सिद्धिकरण कर उन की उपयोगिता खोजी जा सके और रोग मुक्ति कारक औषधियों की संख्या की उतरोतर वृद्धि हो .
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