जिसने की शर्म उसके फूटे कर्म
शर्माना स्त्रियोचित होता होता हैं, शर्म स्त्रियों का गहना होता हैं, शर्म स्त्रियों को शोभा देता हैं. जहा शर्म की बात मर्दों के लिए हो तो उस के लिए भारतीय कहावत हैं की जिसने की शर्म उसके फूटे कर्म. शर्म या शर्माना के पीछे एक भय बैठा होता हैं जो मनोविज्ञान कारणों से पाया जाता हैं. एक सिक्के के दो पहलू होते जिसमें एक तरफ़ा शर्म तो दूसरी तरफ भय बना होता हैं. इस प्रकार से भय युक्त शर्म के कारण अपनी प्रगतिशील अवस्थाओं बाधा आती जिसमें अपने जीवनी शक्ति को उपयोग नही बना सकता हैं - जैसे मैथुनरत हो या किसी आँफिस का इंटरव्यू अथवा प्रतियोगिताओं का चयनित अवसरों में अनुतीर्ण होने का खतरा हमेशा बना रहता हैं. आप अगर इस प्रकार से पीड़ितों में हो तो आप हम से ईमेल से निदानात्मक उपचार लें सकते हैं.
बहुत ही सार्थक विचार,आपका धनयबाद।
जवाब देंहटाएंएक बार यहाँ भी आयें और अवलोकन करें, धन्यबाद।
भूली-बिसरी यादें