अज्ञान
अज्ञान ही इन चार क्लेशों का मूल कारण होता हैं [ राग, द्वेष, अस्मिता, और अभिनिवेश ] अस्मिता से चार अवस्था उत्पन्न होती हैं. प्रसुप्त, तनु, विच्छिन और उदार ये चारों अवस्था अज्ञान ही हैं.
1. प्रसुप्त - इस प्रकार का क्लेश चित में स्थिर रहकर भी अपना कार्य सम्पादित नही कर पता. जैसे मनुष्य की बाल्यकाल में विषय भोगों की वासनाएँ बीज रूप में होते हुए भी दबी रहती हैं. तथा जब बाल अवस्था से युवावस्था होते ही सभी वासना सक्रिय हो जाती वैसे ही प्रलय काल में एवं सुषुप्ति की अवस्था में अस्मिता आदि चारों क्लेशो की प्रसुप्तावस्था बनी रहती हैं.
2. तनु - उन क्लेशों को कर्म योग की शक्ति से रहित कर दिया जाता, परन्तु उनकी वासनाएँ बीज के समान रूप में चित्त में निरंतर विधमान रहती हैं.इस समय मनुष्य कर्म नही करके शांत रहते [ इस प्रकार के क्लेशो को दूर करने के लिए ध्यान, धारणा, ममता, का परित्याग और वास्तविकता का ज्ञान से दूर किया जा सकता हैं.]
3. विच्छिन्न - अस्मिता में से किसी क्लेश के शक्ति मान या उदार होने से एक क्लेश दूसरे क्लेश को दबा जाता हैं.
4. उदार - उदार अवस्था में क्लेश सभी सहयोगी विषय भोग को प्राप्त करके अपना कार्य को क्रमबद्ध करता हैं. [ अविध्या का अपना कोई अवस्था भेद नही होता हैं.]
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