मानव और तत्व की प्रकृति तीन प्रकार की होती हैं,
1. सतोगुणी = प्रकाशक और हल्का माना गया हैं, हल्कापन, प्रीति, तितिक्षा, संतोष, प्रकाश के साथ उदय होते हैं.
2. रजोगुण = उत्तेजक और चल माना गया हैं, सुख-दुःख, चंचलता, उत्तेजना के साथ उदय होता हैं
3. तमोगुण = भारी और रोकने वाला माना गया है. मोह, आलस, निंद्रा, भारीपन के साथ उदय होते हैं .
1. सत्व या सतोगुण धारक या प्रकृति का मानव के गुण हल्का और प्रकाशक होता हैं, इस लिए सतोगुणी पदार्थ हो या इन्सान सभी प्रकाशक होते हैं. आग इसलिए उपर जला करती क्योंकि वो हलकी होती है. सतोगुणी तत्व की प्रधानता होने से अग्नि में प्रकाश होता हैं. इसी प्रकार इंद्रिय और मन प्रकाशशील होते हैं. सतोगुण और तमो गुण स्वयं अक्रिय हैं. इसलिए ये अपना कार्य करने में ये असमर्थ हैं. रजस [ राजस , रजोगुण ] क्रियाशील होने से उन दोनों गुणों को उत्तेजना देता हैं और अपने कार्य [ काम ] में प्रवृत करता हैं. जब मानव शरीर में रजोगुण अधिक होने से उत्तेजना और चंचलता बढ़ा जाती हैं. और रजोगुण चंचल स्वभाव होने से हलके सतोगुण को प्रवृत करता हैं. परन्तु जब तमोगुण भारी होने से रजोगुण को रोकता हैं. जब शरीर तमोगुण प्रधान होता हैं तो शरीर भारी, और काम [ कार्य ] में प्रवृत नही होता हैं.
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