मंगलवार, 2 सितंबर 2014

पथरी

       पथरी होना हमारे जीवनशैली का अंग होता, क्योंकि हमारा शरीर का विकास और वृद्धि कारण आहार की गुणवत्ता से के साथ-साथ हमारे जीने के अंदाज़ भी सहायक होता हैं. हमारे जीने के अंदाज़ में आहार के पोषक तत्वों के पचने और पचानें में भी भिन्नता पाई जाती, कुछ हमारे आहार में विरोधी पोषक तत्वों का भी संग्रह होना  होता जिसमे पथरी भी वो एक हिस्सा हैं, जिसको यू भी समझा जाता की आहार के नकारात्मक प्रभाव का संग्रह होना ही पथरी बनने का कारण होता हैं.
      पथरी किसी कारणों से बनी हो उसका नैदानिक तरीका भी होता हैं, वैदिक जीवन या वैदिक चिकित्सा से पथरी का उपचार संभव होता हैं, आधुनिक चिकित्सा में शल्यचिकित्सा पर जोर दिया जाता परन्तु कुछ समय बाद में पथरी वापस हो जाती हैं, पथरी पित्ताश्मरी हो या गुर्दे की पथरी उपचार दोनों का संभव हैं, परन्तु आधुनिक भेड चाल में ऑपरेशन, ऑपरेशन के बावजूद फिर भी रोगी राहत नहीं, रोगी को वापस आहत ही मिलती हैं,
पित्ताश्मरी -
    पित्ताश्मरी का आधुनिक चिकित्सा से शल्यचिकित्सा ही की  जाती की पित्त की थैली को ही निकाल देते परन्तु मैं इस को गलत मानता हूँ, मैने देखा की किसी के आँख में मोतियाबिंद हैं और उस आँख को निकाल कर दूसरी बैठा देने से समस्या का समाधान मान कर शल्यचिकित्सा से आँख की पुतली को नया बैठा दिया, फिर भी नई आँख में भी वापस मोतियाबिंद शुरू हो गया जिसको आप इस  https://www.youtube.com/watch?v=4jyNMuEu8nc में देख सकते, जिस प्रकार से तपेदिक के मरीज़ को फेफड़ा में कफ की वृद्धि होने फेफड़ा नहीं निकला जाता हैं या बार-बार जुखाम होने से नाक को नहीं काटा जाता ठीक वैसे ही आप पित्ताशय को मत निकलवाइए, यथा योग्य चिकित्सक से परामर्श ले. अपनी आहार और जीवनशैली में  बदलाव लायें जिसमें आप को एक अच्छा स्वास्थ्य मिले और जीवन को भरपूर ख़ुशी का जिए. जानिए आप का दर्द का स्थान निम्नलिखित 1 से 6 संख्याओं में तो नहीं, अगर हा हैं, तो निकटतम चिकित्सक से परामर्श करे. अन्यथा हमसे सम्पर्क करे !  
समयावधि कम - समय मिलने पर अपडेट करूँगा .  

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