बुधवार, 17 अक्तूबर 2012

आप स्वय अपनी प्रकृति के मानसिकशक्तिमूल के पात्र बन जायेंगे

अपना जीवन प्रबंधन कैसे करे ! आप को मालूम होगा की आप जों कुछ है उसके पिच्छे प्रमुख बात रही है की अपनी सोच ,इस विचार या सोच के कारण ही आप की अभिवर्ती और आकृति बनी होती और हम अच्छे बुरे होने का अभिनय कर सकते है फिर भी हमारे में हम सुधरने के प्रयास नही करते .मेरा तीन चित्रों से आप को कल्पना के सागर में ले जाता हुं [ १ ] एक कमरे में अश्लील चित्र लगे है , [ २ ] दूसरे कमरे में वीर क्रांति कारी योद्धा के चित्र लगे और [ ३ ] तीसरे में भगवान के चित्र लगे है .ज्योही आप पहले कमरे में प्रवेश करते आप की वासनात्मक विचारधारा आ ही जाएगी.इस के बाद दूसरे कमरे में प्रवेश करते तो आप में जोशी ले विचारधारा आ ही जाएगी और इसके बाद आप तीसरे कमरे में जाते है तो भगवान से प्रार्थनाओं के विचारधारा का आना शुरु हो जाता है .अब आप जान ली जिये की आप उन तीनों कमरों में किस कमरे में ज्यादा अपने आप को रोकना चाहेंगे , वैसी ही आप स्वंय अपनी प्रकृति के मानसिकशक्तिमूल के पात्र बन जायेंगे .   

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