अपने जीवनशैली में दैहिक पीड़ाओ को कैसे कम करे ! मेरे दो पुत्र है , हितेंद्र्पाल सिंह ,विरेन्द्रपाल सिंह मे ने दोनों को आधा आधा किलो मिठाई दि और कहा आपसी इच्छानुसार इस को उपयोग करो परन्तु एक शर्त है की यह मिठाई के उपयोग का आज वर्णन नही करेंगे ठीक एक गूंगे का अनुभव लेकर दिन को बिताना है और इन की माता से कहा आप, को दोनों बेटों को जों मिठाई दि उसका वर्णन करना है .श्रीमती जी [ मेरी पत्नी ] बोली गूंगे के स्वाद को में कैसे जानू की किसको कैसा स्वाद लगा.दूसरे दिन मैने हितेंद्र्पाल सिंह से पूछा तो उसने बताया की कल वाली मिठाई को खाया बहुत स्वादिष्ट थी ,अब दूसरे पुत्र विरेन्द्रपाल सिंह से पूछा तो उसने बताया की मैने और मेरे चार मित्रों में मिलकर मिठाई खाया बहुत मझा [ आनंद ] आया . इसके बाद परिवार में मैने समझा या ठीक इन दोनों भाईयो की तरह दो प्रकार के लोगों का समाज में जीना पाया जाता जों अपने अपने दर्द या बीमारी को भागते यानि एक हितेंद्र्पाल सिंह की तरह मन की बीमारी को अकेले अकेले लेकर फिरता , दूसरा पुत्र विरेन्द्रपाल सिंह जों अपने मन की बीमारी की बात बता देता जिससे मन हल्का हो जाता .आप अपने मन की बीमारी को गूंगे की तरह दबाने या छुपाएँ नही बैठे मुंह खोल कर अपने दिल की बात हो हल्कापन कर ले ताकि आप मनोरोगी या दैहिक पीड़ाओं को मिटा सकते है..
अपनी दिशा बदलो दशा अपने आप बदल जाएगी ,.. Change its direction will change on its own.. AAYURVED, MODREN, NUTRITION DIET & PSYCOLOGY गोपनीय ऑनलाइन परामर्श -- आपको हमारा परामर्श गोपनीयता की गारंटी है. हमारा ब्लॉग्स्पॉट, विश्वसनीय, सुरक्षित, और निजी है. एक उर्जावान, दोस्ताना, पेशेवर वातावरण में भौतिक चिकित्सा के लिए सर्वोत्तम संभव कार्यक्रम प्रदान करना है.
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