मनोविज्ञान = मन तथा इन्द्रिया काम की शरणागति होती है ,जहाँ बुद्धि ऐसी काम पूर्ण रुचियों की राजधानी बन जाती है ,बुद्धि आत्मा के निकट रहते है जो पड़ोसन कहलाती है, और पड़ोसी जो जाने से उस के प्रभावित हो जाती है.जिससे अहंकार उत्पन्न हो जाता है.जिससे आदत बनाकर वास्तविक सुख मान जाता है .आगे जिस तरह निरन्तरता ईंधन डालने से अग्नि कभी नही बुझती फिर भौतिक दुनिया मे सभी कार्य कलाप का केंद्र बिंदु काम-सुख [ मैथुन ] है .जिसको काम विषय जीवन की हथकडिया कहा जाता है ...
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शनिवार, 29 दिसंबर 2012
मन का विज्ञान काम के प्रति = मनोविज्ञान
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