मनोविज्ञान = मन तथा इन्द्रिया काम की शरणागति होती है ,जहाँ बुद्धि ऐसी काम पूर्ण रुचियों की राजधानी बन जाती है ,बुद्धि आत्मा के निकट रहते है जो पड़ोसन कहलाती है, और पड़ोसी जो जाने से उस के प्रभावित हो जाती है.जिससे अहंकार उत्पन्न हो जाता है.जिससे आदत बनाकर वास्तविक सुख मान जाता है .आगे जिस तरह निरन्तरता ईंधन डालने से अग्नि कभी नही बुझती फिर भौतिक दुनिया मे सभी कार्य कलाप का केंद्र बिंदु काम-सुख [ मैथुन ] है .जिसको काम विषय जीवन की हथकडिया कहा जाता है ...
अपनी दिशा बदलो दशा अपने आप बदल जाएगी ,.. Change its direction will change on its own.. AAYURVED, MODREN, NUTRITION DIET & PSYCOLOGY गोपनीय ऑनलाइन परामर्श -- आपको हमारा परामर्श गोपनीयता की गारंटी है. हमारा ब्लॉग्स्पॉट, विश्वसनीय, सुरक्षित, और निजी है. एक उर्जावान, दोस्ताना, पेशेवर वातावरण में भौतिक चिकित्सा के लिए सर्वोत्तम संभव कार्यक्रम प्रदान करना है.
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