काम - काम जो चरित्र पर दाग करता है - काम, क्रोध, मद, और लोभ ये वो अव गुण है जो चरित्र को उस की हीनता देता है. पर स्त्री हो या पर पुरुष में जो कामुक रूचि जगाता हो और आधुनिक जीवनशैली ने इन अवैध रिश्तो को नई नई परिभाषा मे मान्यताओं प्रचलन किया जा रहा है, परन्तु जो नर नारी शुभ-लाभ, गति ,कल्याण, सुबुद्धि, यश और ऐश्वर्य चाहते हो तो, जिस प्रेमी को दूज का चाँद या पूनम का चाँद समझते यह मात्र भ्रम है. ये घटनाएँ आज कोई नई नही है, इस बात को तुलसी दास जी ने बहुत अच्छी तरह से समझा है जो रावण से गलती हुई, सुंदर कांड में हनुमानजी ने विभिषण को जो सिखाया देह की भाषा, उस को अपने बड़े भाई रावण को समझा रहा है विभीषण,
" जो आपन चाहें कल्याना ,सुजसु सुमति शुभ गति सुख नाना.
यानि जो मनुष्य अपना कल्याण, सुंदर यश, सद्बुद्दी, शुभ गति और सुख चाहता हो तो पर स्त्री के ललाट को चौथ के चंद्रमा की तरह त्याग दे. आधुनिक जीवन शैली मे कामवृति से भोग-विलास का दौर चल रहा जो और परिवार में दरार आ रही है ......
अपनी दिशा बदलो दशा अपने आप बदल जाएगी ,.. Change its direction will change on its own.. AAYURVED, MODREN, NUTRITION DIET & PSYCOLOGY गोपनीय ऑनलाइन परामर्श -- आपको हमारा परामर्श गोपनीयता की गारंटी है. हमारा ब्लॉग्स्पॉट, विश्वसनीय, सुरक्षित, और निजी है. एक उर्जावान, दोस्ताना, पेशेवर वातावरण में भौतिक चिकित्सा के लिए सर्वोत्तम संभव कार्यक्रम प्रदान करना है.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें