शुक्रवार, 18 जनवरी 2013

पर नारी से सुख का भ्रम कैसे दूर करे !

काम - काम जो चरित्र पर दाग करता है - काम, क्रोध, मद, और लोभ ये वो अव गुण है जो चरित्र को उस की हीनता देता है. पर स्त्री हो या पर पुरुष में जो कामुक रूचि जगाता हो और आधुनिक जीवनशैली ने इन अवैध रिश्तो को नई नई परिभाषा मे मान्यताओं प्रचलन किया जा रहा है, परन्तु जो नर नारी शुभ-लाभ, गति ,कल्याण, सुबुद्धि, यश और ऐश्वर्य चाहते हो तो, जिस प्रेमी को दूज का चाँद या पूनम का चाँद समझते यह मात्र भ्रम है. ये घटनाएँ आज कोई नई नही है, इस बात को तुलसी दास जी ने बहुत अच्छी तरह से समझा है जो रावण से गलती हुई, सुंदर कांड में हनुमानजी ने विभिषण को जो सिखाया देह की भाषा, उस को अपने बड़े भाई रावण को समझा रहा है विभीषण,

" जो आपन चाहें कल्याना ,सुजसु सुमति शुभ गति सुख नाना.
   सो पर नारी लिलार गोसाई , तजउ चउथी के चंद की नाई " .

 यानि जो मनुष्य अपना कल्याण, सुंदर यश, सद्बुद्दी, शुभ गति और सुख चाहता हो तो पर स्त्री के ललाट को चौथ के चंद्रमा की तरह त्याग दे. आधुनिक जीवन शैली मे कामवृति से भोग-विलास का दौर चल रहा जो और परिवार में दरार आ रही है  ......    

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