गुरुवार, 3 जनवरी 2013

मै और आप

मै और आप का व्यवहारिक मिलन का ज्ञान
1  मैं तो आप से जानू की मेरा - आत्म विश्वास कैसे बढ़े ,खुद को पसंद करूँ ताकि तब दूसरे मुझ को पसंद करे ,जोशी ला बना रहता हूँ जिससे सामने वाला भी मुझसे जोश में मिलता है नर-नारी से समाज बनता है दो ही अपने अपने अस्तित्व बनाने में दिखाई देता का ही अनुसरण होता है समस्या सभी के साथ आती है                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                            2 मेरे मौजुदगी बोली है विनम्रता और आग्रह पूर्वक देह की भाषा जब किसी के संपर्क में आती है तो मुस्कराते हुए अभिवादन के साथ ,हाथ मिलाते हुए अपना नाम का परिचय देता हूँ इस लिए लोग ध्यान पूर्वक सुनते है अति करता तो लोग बोरियत होते तो संतुलित हो जाता हूँ ,मुस्कराते सहजता रखता हूँ ,बनावटीपन से तो आँखों ने नाटक नजर आ जाता है                                                                                                   3 सामने वाले व्यक्ति के बारे मे भी जानना चाहता हूँ जब किसी से बात करता हूँ तो मेरे लिए वो महत्वपूर्ण हो जाता है इस में अभिमान नही छलकते हुए उस को एहसान करता हूँ की आप वह व्यक्तित्व है जिसका दुनिया में वजूद है और वो सहज सहजता से महसूस करे                                  4 वक्ता के बाद अच्छा श्रोता बनता हुं एक समय में एक काम की भाती [ प्रकार ] से किसी से मिलने पर सहानुभूति पूर्वक बात करता हूँ अगले वक्ता को लगे की मेरी भी बात सुनी जा रही है जिससे याद यादगार की तरह बनी रहे ,ध्यान को वक्ता पर ही लगता हूँ जिस से लगे की उन के लिए महत्वपूर्ण ज्यादा हूँ ,इस कारण से मेरी याददास्त मजबूत होती है इसी प्रकार से हर बात याद हो जाती है                                                            5 विश्वास कथाओं से सुनता हूँ -बनावटी ,जुटी, घटियाचुटकले  और भ्रम को दूर करने की कोशिश करके मेरा आत्म विश्वास से मैं सोचता हूँ ,मैं महसूस करता हूँ और मेरा सोचना है ,के भाव से इस दुनिया में हमेशा प्रासंगिक आस पास की धटनाओ को चर्चा में भी रखता हूँ ,जिस से आत्मविश्वास दोनो का बना रहता है , हास्य जो शालीनता के है उनको भी महत्व देता हूँ , कई बार जीवन के निजी अनुभव भी सुनाता हूँ ,इस दौरान यह भी ध्यान रखता हूँ की मेरी छवि भी खराब नही हो                  

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