आध्यात्मिक बिज विज्ञान हो या मानव जीवन चिकित्सा जगत में देखा जाता हैं की सूक्ष्म शरीर में बीमारी पहले हो जाती हैं .और स्थूल शरीर में बाद में प्रकट होती है, सूक्ष्म शरीर में जीस तरह फुल की सुगंध आँख देख नही पाती और नाक उस को पहचाना जाता है .वो ज्ञान होने पर .परन्तु जो सूक्ष्म शरीर में बीमारी दो चार महीने पहले आ जाती है, उस का स्थूल शरीर में देरी से पता [ मालूम होता है ] चलता है .पहले पता नही होना और बाद में बड़ी बीमारी होने पर मालूम होना जैसे - कैंसर की बीमारी .ठीक इसी प्रकार से मनोविज्ञान का भी मानना की कुछ सकारात्मक हो या नकारात्मक वार्तालाप के विचार भी बीज़ के रूप में सूक्ष्म रूप से आ जाते है और बाद में बड़े वुक्ष [ पेड़ ] के रूप में प्रकट होते है. इस को जानने के लिए सूक्ष्म दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है ,जो मनोविज्ञान से प्राप्त किया जा सकता है. और उस सूक्ष्म ज्ञान को निश्चयात्मक मन के रूप में जाना जाता है .और स्थूलकाय शरीर को जीस दृष्टिकोण से देखते उस को व्यवहारिक कहते है. इस प्रकार से मनो दर्शन को भेद दृष्टिकोण कहते है .एवं शारीरिक क्रियाओं को अभेद दर्शन कहते है ...............................................................................................रह लेख मेरे गुरूजी हजूर हो समर्पण है .....
अपनी दिशा बदलो दशा अपने आप बदल जाएगी ,.. Change its direction will change on its own.. AAYURVED, MODREN, NUTRITION DIET & PSYCOLOGY गोपनीय ऑनलाइन परामर्श -- आपको हमारा परामर्श गोपनीयता की गारंटी है. हमारा ब्लॉग्स्पॉट, विश्वसनीय, सुरक्षित, और निजी है. एक उर्जावान, दोस्ताना, पेशेवर वातावरण में भौतिक चिकित्सा के लिए सर्वोत्तम संभव कार्यक्रम प्रदान करना है.
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें