आधुनिक जीवनशैली में रोग जाने का नाम नही ले रहा, जिसकी वजह मनुष्य स्वयं ज़िम्मेदार होता हैं. हमारा शरीर का विकास और वृद्धि होने में हमारे आहार की भूमि का प्रमुखता का कारण होता, धरती पर किसी भी जीव-जन्तु का अपने भोजन पर निर्भरता होना सामान्यतया पाया जाता हैं, पर्यावरण और भौगोलिक स्थिति भिन्न भिन्न हो सकतीं परन्तु भोजन की निर्भरता अवश्यंभावी होती हैं. हमारे आहार में पोषक तत्वों की कमी या अतिरिक्तता होने से पोषक तत्वों में असंतुलित अवस्थाओ का पाया जाना ही रोगों का कारण होता हैं. जैसे - जोड़ों का दर्द, मोटापा, मधुमेह, हृदय रोग और गुप्त रोग इस प्रकार की बीमारियाँ मानव निर्मित अपने स्वयं द्वारा होती हैं, और उसमें सहयोगी अपने विचारधारा का प्रबल सहयोग होता जो स्वयं प्रेरित अथवा उन नकारात्मक पहलुओं को सकारात्मक व्यवसायी विचारधारा की पालनार्थ उन कीं बातों का जैसे अनुबधन कर लिया जाता हैं. जैसे किसी कंपनी से उत्पादित दवाइयों का सेवन हृदय रोग निवारणार्थ काम में लिया जाता हैं जो कोलेस्ट्रोल को कम करतीं हैं. यदि देखा जाए की कोलेस्ट्रोल बनता किससे है, तो सामान्य बात है की हमारे द्वारा लिया गया भोजन से जो पोषक तत्वों की अतिरिक्तता के कारण, यदि हम उन पोषक तत्वों को कम या बंद कर दे तो ठीक हो सकते हैं.
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